जिज्ञासा और समाधान

प्रश्न : हिन्दू पद्धति में अनेक महिलाओं को विधवा जीवन बिताना पड़ता है। उनका जीवन सुखी कैसे हो ?

उत्तर : भारतीय संस्कृति संयम प्रधान है, इसलिए इसमें जितने उपदेश, आदेश दिये जाते हैं, सब संयम की प्रधानता से। स्वाभाविक विकारों को नियंत्रित करने से ही संस्कृति की रक्षा हो सकती है। वैसे, कुछ द्विजातियों को छोड़ कर अन्यत्र विधवा-विवाह प्रचलित है और वह शास्त्र के विरुद्ध नहीं है। अनेक पुरुषों से सम्बन्ध एवं भ्रूणहत्या आदि पापों की अपेक्षा तो किसी एक से विवाह होना ही श्रेष्ठ है। कन्यादान दुबारा नहीं हो सकता। विषयभोग में ही सुख है, यह विचार एकांगी है। इसलिए समाज-सुधारकों को इन बातों को ध्यान में रख कर ही लोगों की मनोवृत्ति में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।

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